पवित्र यात्रा के कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जो की केदारनाथ और बद्रीनाथ के बारे मे
आज के बढ़ती तरक्की को देखते हुए हम कह सकते है, हमारा भारत देश अपने संस्कृति को छोर कर विदेसी संस्कृति को अपना रहा है, और हमारी संस्कृति को कही दूर छोड़ते आ रहा है, माना हमारे संस्कृति मे कुछ गलती है, पर ऐसे बहुत सारे सही चीज़ों के बारे मे उलेख है, जिस से हमारे भारत देश को बाहरी चीज़ों की कोई जरूरत नही है, जैसे हमारे देश के ऋषि मुनिवों ने बहुत चीज़ों के बारे मे बता के गया है, जिसका हमे आदर करना चाहिए और उसका साथ ही उपयोग भी करना चाहिए, जिस से हमारा देश खुद के लिए कुछ कर सके और इसका सबसे ज्यादा ध्यान हमारे देश के प्रधान मंत्री को देनी चाहिए, जैसे आज हम लोग आपने धार्मिक स्थलो को भूलते जा रहे है, और मंदिर छोर कर चर्च की ओर जा रहे है।
ठीक है मानते है की समय के साथ इंसान को बदलना चाहिए, लेकिन एक हद तक ही इतना भी नही की वो अपना धार्मिक स्थलो के बारे मे उनके पास कुछ जानकारी ही ना हो, और उनका कैसे स्थापना हुआ है, हम पर्व तो लगभग सब ही मानते है, पर मै दावे के साथ कह सकता हु की बहुत सारे लोगो को नही पता होगा की वो पर्व हम क्यों माना रहे है, बस सब माना रहे है तो हम माना भी माना रहे है।
इस बात को ध्यान मे रखते हुए की हमारे आने वाले पीढ़ी को हमारे धार्मिक चीज़ों के बारे मे अच्छी जानकारी हो उनके लिए हमको अपना इतिहास है, उनको बताते रहना चाहिए, की कैसे भगवान शिव कितने दुस्टों से हमारे पूर्वोजों को बचाया है, और किया-किया चमत्कार किए है। ऐसे ही कुछ धार्मिक स्थलो के बारे मे आज हम जानकारी लेगे, जहा पे भगवान शिव ने बहुत शिव ने बहुत सारे चमत्कार किए है, और उस जगह की क्या-क्या मान्यता है, ऐसी जानकारी आपको जो आपने जीवन मे कभी न कभी काम आएगी, क्योकि मैंने कही पढ़ा था, की कोई जानकारी और कोई काम बिना वजह के नही होती है, उसके होने के पीछे आपको कोई न कोई सबक सीखने का मकसद होता है, बस आपको उसका उपयोग करने आना चाहिए, जो की हर इंसान कर ही लेता है।
केदारनाथ मंदिर की यात्रा करना ऐसा माना जाता है की आप स्वर्ग की यात्रा पे निकले हो, जो की उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र मे हिमालय की गोद मे एक नन्हें सिशु के भाति छिपा हुआ है, जो की समुद्र के स्तर से लगभग 3582 मिटर की उचाई पे स्थित है, केदारनाथ मंदिर साल के 6 माह के लिए खुलते है, क्योकि यहा के मौसोम बाकी के 6 माह यात्रा करने के लिए अनुकूल नही होते है, जिसके कारण यहा केदारनाथ मंदिर के पट बाकी के 6 माह के लिए बंद होते है, जिस कारण से यहा एक बार मे ही भक्त लाखों की संख्या मे जाते है, जिस वजह से वहा केदारनाथ यात्रा (kedarnath yatra) करने मे काफी दिकत आती है, इसलिए भक्त केदारनाथ टूर पैकेज (kedarnath tour package) का उपयोग कर के वहा यात्रा करना पसंद करते है, जिनसे उन्हे अपनी यात्रा मे काफी मदद मिल जाती है, उन्हे अपने रहने, खाने और घूमने के लिए एक अच्छा मार्ग दर्शक मिल जाते है, जो की उनकी यात्रा मे काफी मदद करते है, और उनकी केदारनाथ यात्रा को मंगलमय बनाते है।
केदारनाथ मंदिर बहुत से धामो का एक अहम हिस्सा है, जैसे की 12 ज्योतृलिंगा (12jyotrilinga), पंच केदार (panch kedar), दोधाम यात्रा (dodham yatra) और छोटा चार धाम यात्रा (chardham yatra) का जहा भक्त जाना बहुत पसंद करते है, इस जगह की मान्यता है, अगर आपने जीवन मे यहा दर्शन करने आते हो, तो आपके सारे पापो का प्रायश्चित्त हो जाते है। क्योकि जब पांडव ने भी अपने द्वारा किए गए पापों के प्रायश्चित्त करने की खोज मे निकले तो वो भी अंत मे केदारनाथ मंदिर मे ही जा कर अपने पापों के प्रायश्चित्त किए और साथ ही उन्होने केदारनाथ मंदिर का निर्माण किए, जो की पंच केदार मे से एक प्रमुख मंदिर है।
बद्रीनाथ मंदिर, भगवान विष्णु को समर्पित है, जो की उत्तराखंड राज्य के मे अलंकनदा नदी के तट पे बसा हुआ है, जिसे हमलोग बद्रि नारायण मंदिर के नाम से भी जानते है, यह मंदिर समुद्र के स्तर से लगभग 3133 मिटर की उचाई पे स्थित है, जो की दोधाम यात्रा और छोटा चार धाम यात्रा का एक प्रमुख धाम है, बद्रीनाथ मंदिर के आस-पास बसे छोटे-छोटे घर और कस्बे को बद्रीनाथ के नाम से ही जानते है, क्योकि ये बद्रीनाथ मंदिर के निकट बसे हुए होते है।
वर्ष के बस 6 माह (अप्रैल का अंत और नवम्बर का शुरुआत) खुले होने के कारण बद्रीनाथ मंदिर मे भी लाखों तक शंख्या चली जाती है, क्योकि बाकी के समय यहा इतना सर्दी परती है, की इस मंदिर को 6 माह के लिए दोबारा बंद कर दिया जाता है, इस मंदिर की एक ऐसी कथा है, जिसके अनुसार यहा पहले भगवान शिव और माता पार्वती वास करती थी, पर भगवान विष्णु ने चालाकी कर के उनको केदारनाथ मंदिर मे भेज दिये और खुद बद्रीनाथ मंदिर मे वास कर गए, क्योकि भगवान विष्णु जब इस जगह को देखे तो इतना पसंद आ गया था, की वो अब कुछ भी कर यहा बसना चाहते थे और उहोने ऐसा ही किया।
इस मंदिर अपनी अलग मान्यता है, की अगर आप अपने जीवन मे बद्रीनाथ मंदिर की दो बार यात्रा कर लेते हो तो आप जीवन काल के चक्र से मुक्त हो जाते है।
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