केदारनाथ ज्योतृलिंगा
केदारनाथ मंदिर सबसे ऊँचा ज्योतिलिंगा मे से एक है, जो की समुद्र के स्तर से लगभग 3582 मिटर की ऊंचाई पे स्थित है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र मे हिमालय की गोद की छुपा हुआ है। इस मंदिर खासियत यह है, की केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतृलिंगा (12 jyotrilinga), पंच केदार (panch kedar), दोधाम यात्रा (dodham yatra) और छोटा चारधाम यात्रा (chardham yatra) के यात्रावों मे से एक महत्वपूर्ण यात्रा है। जिसकी यात्रा करने लगभग सभी जाती के लोग जाते है।
केदारनाथ यात्रा (kedarnath yatra) हिन्दू धर्म के लिए अलग ही महत्व रखता है। क्योंकि केदारनाथ मंदिर मे भगवान शिव की पीठ आराधना होती है।
यह मंदिर वर्ष के छः माह बंद होने के कारण यहाँ एक बार ही काफी भीड़ हो जाती है। जिस से भक्तों को यात्रा करने मे बहुत सारे मुसकीलों का समाना करना परता है। जिस से भक्त केदारनाथ यात्रा पैकेज (kedarnath yatra package) का उपयोग करना पसंद करते है। जिस से उनकी यात्रा मे कोई तकलीफ देखने को ना मिले और और भक्त अपने केदारनाथ की यात्रा का पूरा आनंद ले सके।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण
महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद, पांचों पांडव भाइयों को अपने करीबी रिश्तेदारों की हत्या करने का पापों का अहसास हुआ। उन्होंने अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव के दर्शन हेतु कैलाश की तीर्थयात्रा करने का निर्णय लिया। लेकिन भगवान शिव बैल के रूप में छुप गए और पांडवों से दूर भाग गए।
पांडवों ने अपनी खोज जारी रखी और हिमालय में गौरीकुंड पहुंचे, जहां उन्होंने अजीब दिखने वाले बैल को देखा। पांडव भाइयों में से एक, भीम ने अपनी गदा से बैल से लड़ाई की। बैल ने इस स्थान पर गोता लगाया और इस स्थान पर केवल उसका कूबड़ दिखाई दिया। भगवान शिव को पहचानने के बाद, पांडवों ने उनका आशीर्वाद मांगा और बदले में, उन्होंने उनके पापों को माफ कर दिया। तब पांडवों ने केदारनाथ में पहला मंदिर बनाया, और भगवान शिव उसमें ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास गए थे।
एक बार नर-नारायण भगवान विष्णु के जुड़वां अवतार ने बद्रिका गांव में शिव की पूजा शुरू की। उनकी तपस्या से प्रभावित होकर, भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए और मानवता के कल्याण के लिए, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में बर्फ से ढके हुए हिमालय में रहने का फैसला किया।
केदारनाथ मंदिर दुनिया के सबसे शक्तिशाली शिव मंदिरों में से एक है, और हिंदू भक्तों के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। उनका मानना है कि यदि आप निस्वार्थ भक्ति के साथ भगवान केदारेश्वर से प्रार्थना करते हैं, तो आप अपने आप को सभी सांसारिक पापों से मुक्त कर लेंगे। बाद में, आप मृत्यु के बाद स्वर्ग जाएंगे और मोक्ष की प्राप्ति होगी।
मंदिर को आदि शंकराचार्य जैसे महान हिंदू संतों द्वारा बहुत सम्मान दिया गया है और 8 वीं शताब्दी में तमिल नयनार संतों द्वारा इसकी प्रशंसा की गई थी। मंदिर परिसर के अंदर एक पवित्र चतुर्भुज है जिसे ब्रह्म कुंड कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसके पानी का एक घूंट भक्तों को आकस्मिक मृत्यु से बचाता है।
मंदिर में निवास करने वाले गौरवशाली महादेव को देखने के लिए हर साल दो लाख से अधिक तीर्थयात्री पैदल चलकर मंदिर आते हैं। हिंदू दार्शनिकों का मानना है कि हर किसी को अपनी आत्मा को पवित्र करने और शुद्धि प्राप्त करने के लिए मृत्यु से पहले कम से कम एक बार केदारनाथ की यात्रा करनी चाहिए।
अन्य ज्योतृलिंगा
महाकालेश्वर मंदिर, भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य मे उज्जैन शहर मे स्थित है। इस शहर यह मान्यता है, की यहाँ राजा विकर्म अदित्या के बाद यहाँ कोई भी राजा ज्यादा दिनों का शाशन नही कर सके थे। क्योंकि यहाँ के राजा बस एक ही है, वो खुद महाकाल है। आज भी यहाँ कोई मंत्री आता है, तो उस मंत्री को शाम होने से पहले इस जगह को छोड़ कर जाना परता है, क्योंकि यहाँ के राजा बस महाकाल है।
महाकालेश्वर मंदिर ही बस ऐसी मंदिर है, जहां पे भगवान शिव की शिवलिंग पे भस्म से पुजा की जाती है।
इस मंदिर की एक कथा है, जो बहुत ही प्रचलित कथा है। जो की ब्रह्माजी और विष्णु जी की है।
एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी मे बहुत ही भंयकर युद्ध छिड़ जाता है, की मैं बड़ा हूँ। दोनों ही एक दूसरे से लड़ रहे थे, मैं आप से बड़ा हूँ। जो युद्ध खत्म होने का नाम ही नही ले रही थी। तो ये बात भगवान शिवजी तक जा पहुची। तब उन्होने उन दोनों से बोला की, मैं खुद को स्तम्भ मे बदल देता हूँ, और तुम दोनों निचला और ऊपरी भाग का पता कर के आना, जो भी पहले आएगा वो ही सर्वश्रेष्ठ होगा। जिसके लिए दोनों ने हाँ बोले। जिसके बाद ब्रह्माजी को ऊपरी भाग खोजने को कहा और विष्णुजी को निचली। जिसके बाद दोनों खोज करने चले गए। बहुत खोजने के बाद विष्णुजी को कुछ नही मिला तो वो खाली हाथ वापस आ गए, और बोले मैं नही खोज पाया। अब ब्रह्माजी की बारी थी, जो की वो विष्णुजी से हार नही मानना चाहते थे, तो उन्होने झूठ बोल दिया की मैंने खोज लिया। जिस पे भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए, और उन्हे अभिशाप दे दिये, की आज से उनकी पुजा कही नही की जाएगी। और तब से ही ब्रह्माजी की पुजा नही की जाती है।
Badrinath Temple also known as the Badrinarayan Temple is a Hindu temple is one of the important temples of Lord Vishnu. Badrinath temple is situated in the Badrinath town of Uttarakhand- the State of India. Badrinath temple is only open for six months of a year just like Kedarnath Temple due to the harsh weather of the region. Therefore we can do the Badrinath Yatra for the six months of the year just like the Kedarnath Yatra. Badrinath Temple also opens on Akshaya Tritiya and closes on the occasion of Bhai Dhooj. It is one of the most visited holy places in India. In 2022 having a record of 2.8 million visits in just 2 months. Badrinath temple is also part of the 108 Divya Desams (Shrines dedicated to Lord Vishnu) and also part of the Do Dham Yatra and Char Dham Yatra. Many people who embark on the journey to Badrinath Temple want to visit Kedarnath Temple also therefore they opt for the Kedarnath Yatra Package.
Legend of Badrinath Temple
Legends state that the Lord Vishnu got a curse from Sage Narada when he saw Vishnu’s consort massaging his feet. Lord Vishnu felt ashamed of his deed. He went to Badrinath to do an extreme penance. When he started his meditation the cold wind started blowing of which he was not aware. Then Lakshmi his consort transformed herself into a jujube tree also known as the Badri tree (ber in Hindi) and protected him from all the cold winds. Impressed by the devotion of Goddess Lakshmi Lord Vishnu named the place as Badrika ashram.
History of Badrinath Temple
There is no historical record of the temple but the deity residing in the temple is mentioned in the Vedic scriptures. According to reliable sources, the temple is worshipped in some form during the Vedic period. Later during, Ashoka’s reign when Buddhism spread all over the country the temple was converted into a Buddhist shrine. Badrinath Temple was a Buddhist shrine till the 8th century later Guru Adi Shankaracharya opened the shrine as a holy temple. The design of the temple shows the Buddhist architecture just like a Buddhist monastery. It is also believed that Adi Shankaracharya resided in the region for six years from 814 CE to 820 CE. He resided for six months in Badrinath and other years in Kedarnath.
Festival in Badrinath
Mata Murti ka mela is one of the prominent festivals celebrated in the Badrinath Temple. This festival honors the Ganga falling on the Earth. Badrinath temple is located in the northern part of India but still, the Rawal (head priest) is a Nambudiri (Malayali Brahmin caste) chosen from the southern part of India ie. Kerala.
How to reach Badrinath Temple
Badrinath is a small town set up in the Chamoli district of Uttarakhand. It is situated on the banks of the Alaknanda River in the Garhwal Himalayas. The town is situated among the Nar and Narayan mountain ranges about 9km east of the Neelkantha peak. There are three main ways through which you can reach Badrinath i.e. via Air, Train, and Road.
By Air: Badrinath town does not have an airport. The nearest airport to Badrinath is Jolly Grant Airport situated in Dehradun which is 314 km from Badrinath. Jolly Grant Airport is well connected to all the major cities of India. Daily flights run to Jolly Grant. After arriving at the Jolly Grant Airport you can take a bus or book a cab to Badrinath.
By Train: Badrinath town does not have a railway station. The nearest Railway Station from Badrinath is Rishikesh railway station which is situated 295 km from Badrinath. Rishikesh railway station is well-connected to all the major destinations of India. After arriving at the Rishikesh station you can take a bus or can book a cab.
By Road: Badrinath is well connected to all the major cities of India via road. If you are from Delhi and want to visit Badrinath via road then you have to cover a distance of 525 km. You can also reach Badrinath from nearby cities like Rishikesh, Dehradun, Joshimath, and Haridwar.
FAQs
Q. What is the best time to visit Badrinath?
Ans. The best time to visit the Badrinath temple is from May to June. and again from September to November. At this time weather is captivative and the roads are less dangerous.
Q. How do I reach Badrinath?
Ans. You can reach Badrinath via Air, Train, and By Road also. The nearest airport from Badrinath is Jolly Grant Airport from there you can take a bus or cab to Badrinath. The nearest Railway station from Badrinath is Rishikesh railway station from there you can take a bus or cab to the Badrinath temple. The road network to the Badrinath is also good you can easily reach Badrinath temple via road.
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केदारनाथ यात्रा (kedarnath yatra) की सौंदर्य दृश्य आपको केदारनाथ यात्रा करने के दौरान दिखता है, जो की बहुत ही मनमोहक दृश्य होता है, जिसकी यात्रा सब करना तो चाहते है, पर उनकी कुछ मजदूरी के कारण वो केदारनाथ की यात्रा नही कर पाते है, जिस से वो अपनी जीवन मे एक बहुत अच्छा दृश्य देखने से चूक जाते है, जिस से उन्हे अपनी ज़िंदगी मे कुछ कमी सा लगता है, क्योंकि वो ज़िंदगी की एक अनोखी दृश्य देखने से चूक जाते है, क्योंकि वो अपनी पूरी ज़िंदगी बस सीमेंट की बनी सुंदरता को देखते ही आए, जिस से उनके जीवन मे केदारनाथ यात्रा की सौंदर्य दृश्य बहुत ही, महत्व रखता है, केदारनाथ की यात्रा करने के लिए सबसे पहले आपको अपना पंजीकरण कराना परता है, जिस से आप यात्रा करने के लिए तैयार हो जाते हो, केदारनाथ यात्रा की पंजीकरण कराने के लिए आप सरकारी वैबसाइट से अपना पंजीकरण कर सकते हो, पंजीकरण कराना बहुत जरूरी होता इसके बिना आप केदारनाथ यात्रा करने के नही जा सकते हो।
केदारनाथ मंदिर गढ़वाल मे स्थित है, जो की समुद्र की स्तर से 3582 मिटर की ऊंचाई पे स्थित है, जो की भगवान शिव को समर्पित है, जहाँ पे भगवान शिव की पीठ की आराधना की जाती है, जो की पंच केदार (panch kedar) का एक अहम हिस्सा है, पंच केदार पांडव द्वारा निर्माण किया गया था, क्योंकि ने एक बहुत बड़ा पाप किया था, उसके प्रयाश्चित करने के लिए पांडव ने पंच केदार का निर्माण किया, जो की पाँच हिस्सों मे बाँट गया, और उस मे से एक केदारनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण धाम है, साथ ही केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतृलिंगा (12 jyotrilinga), दोधाम यात्रा (dodham yatra) और छोटा चारधाम यात्रा (chardham yatra) की एक अहम हिस्सा है।
केदारनाथ यात्रा के लिए हर वर्ष लाखों की शंख्या मे भक्त आते है, क्योंकि केदारनाथ मंदिर 6 माह के लिए ही खुलते है, जिसके कारण भक्तों को यात्रा करने मे काफी सारे तकलीफ़ों का सामना परता है, जिसके वजह से उन्हे अपनी केदारनाथ की यात्रा मे केदारनाथ यात्रा पैकेज (kedarnath yatra package) का उपयोग करना परता है, जिस से उनकी यात्रा मे काफी आराम मिले और वो अपनी केदारनाथ यात्रा को मंगलमय पूरा सके और वो भगवान शिव के दर्शन आराम से कर सके।
केदारनाथ मंदिर की यात्रा गौरीकुण्ड से शुरू हो जाती है, जहाँ से सौंदर्य दृश्य दिखने लगती है, गौरीकुण्ड से 16 किलोमीटर का पैदल दुर्गम चढ़ाई शुरू हो जाती है, केदारनाथ की यात्रा एक बहुत ही दुर्गम यात्रा मे से आता है, क्योंकि उसके यात्रा मे आपको बहुत सारी तकलीफ़ों का सामना करना परता है।
गौरीकुण्ड मे एक गर्म कुंड है, जो की माता पार्वती के नाम पे रखा हुआ है, इस कुंड की अपनी अलग कथा है, की जब भगवान गणेश सर को भगवान शिव के द्वारा अलग कर दिया गया था, जिस के बाद भगवान शिव ने भगवान गणेश को वरदान दिये थे, की आज के बाद इस जग मे सबसे पहले तुम पूजे जयोगे, और तभी से ही भगवान गणेश को सबसे पहले पुजा जाता है।
गौरीकुण्ड की अपनी अलग मान्यता है, की अगर आप इस कुण्ड मे स्नान करते हो तो आपका सारे, कस्ट और दुख दूर हो जाएगे, क्योकि इस गौरीकुण्ड पे माता पार्वती का आशीर्वाद है, जिस के वजह से भक्त इस कुण्ड मे स्नान मे करना पसंद करते है, और जिस से सही मे उनके सारे दुख और पीड़ा का नाश हो जाता, और साथ मे उन्हे यात्रा के दौरान जो भी पीड़ा हुआ था, उन सभी का अंत हो जाता है।
केदारनाथ मंदिर मे आपको ऐसे बहुत से सौंदर्य दृश्य देखने को मिलती है, जो की हमारे पूर्वोजों के द्वारा बनाया गया है, जैसे केदारनाथ मंदिर का निर्माण तो पांडव ने करवाया था, पर आठवी शताबदी मे आदि शंक्र्यचार्य ने इस मंदिर का दोबारा निर्माण करवाया था, जो की बाद मे उन्होने वही समाधि ले लिए थे, और भक्तों ने उनकी समाधि को वही स्थापित करवा दिया, जिसे आज हमलोग आदि शंकर्यचर्या समाधि के नाम से जानते है, इसके अलावा आपको वहाँ बहुत अनोखी चीज़ों को देखने को मिलता है, जिसको आप अपने सपने मे भी नही सोच सकते हो।
केदारनाथ मंदिर की यात्रा मे आपको केवल सौंदर्य दृश्य ही नही देखने को मिलता है, इसके साथ आपको कई सारी प्राचीन कथा सुनने को मिलता है, जिस से आपके ज्ञान मे बढ़ोतरी होती है, जिसके कारण आप आपने जीवन के निर्णय लेने मे कोई तकलीफ न आए, और आप अपने जीवन मे आसानी से निर्णय ले सके और आपको अपने जीवन मे जो भी करना है, उसके तरफ आप आसानी से जा सके।
केदारनाथ यात्रा के दौरान आपको बर्फ की ओढ़ी चादर हिमालय दिखती है, जो की बहुत ही पसंदीदा होता है।
केदारनाथ धाम हिन्दू धर्म के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थल है, क्योंकि केदारनाथ धाम हमारे जीवन को बदलने के ताकत रखता है, जिसे हमलोग स्वर्ग जाने का रास्ता भी कहते है, क्योंकि पांडव स्वर्ग जाने के लिए भी यही रास्ता अपनाया था, और साथ ही केदारनाथ मंदिर जा कर आपको ऐसा महसूस होता है, की स्वर्ग मे हो क्योंकि वहाँ के पवित्र पर्वत को देख कर ऐसा लगता है, की जैसे आप स्वर्ग मे ही हो।
Are you planning to visit Delhi and Agra within your friendly budget? We at Agra Taj Trip arranged this beautiful tour for our honourable guest: 1 day Delhi and 1 day Agra trip by car. we have some valuable tips to help you make the most out of your trip.
One of the first things to consider is hiring a reliable car rental service. Opt for a comfortable and well-maintained vehicle that can accommodate your travel group and ensure a smooth journey throughout the day. This will allow you to travel at your own pace and make impromptu stops along the way.
Next, plan your itinerary wisely. With limited time on hand, it’s important to prioritise the must-visit attractions in both Delhi and Agra. Make sure to include popular landmarks such as Lotus temple, Qutub Minar, Red fort, India Gate, and of course, the majestic Taj Mahal in Agra. Research their opening hours and plan accordingly to optimise your time at each location.
First city to visit India’s capital Delhi
The first day and first place where you start your tour with our knowledgeable guide can greatly enhance your experience during the tour.
They can provide insightful information about the history, architecture, and cultural significance of each attraction, along with interesting anecdotes that are not commonly known.
Second city to visit known as City of Taj : Agra
The Taj Mahal Day Tour will start after your road trip or rest in a hotel. Most of the people come to see and are excited for the Taj Mahal Sunrise Tour. Taj Mahal is a UNESCO World Heritage Site. It’s a beautiful marble building that was made of white marble. This marble is brought from Makrana in Rajasthan, which is why we called this white marble Makrana Marble.
Conclusion
By following these tips, you can maximise your 1 day Delhi and 1 Day Agra Trip by Car and create cherished memories that will last a lifetime. So, get ready to embark on a fascinating journey through history, culture, and architectural marvels.
Sydney’s Darling Harbour is like that dynamic, lively spot in Sydney where the whole area is buzzing with activity! It’s not just a touristy place; it’s a total magnet for people looking to have a blast in Sydney. And guess what makes it even cooler? The boat dinner in Sydney or specifically speaking, the Showboat Cruises! These are like the cherry on top of all the entertainment, breathtaking views and amazing experiences, giving you the most awesome getaways while you soak in the beautiful views of the city! All that said, do you know what’s the best part of a Sydney Showboat Cruise? Well, let’s dive in to find out!
Sydney Showboat Cruises – Where the Fun Sets Sail!
So, imagine you’re on an authentic paddle-wheeler, cruising through the dazzling Sydney Harbour from King Street Wharf 5. But here’s the actual deal – it’s not just a cruise; it’s a 3-hour dinner adventure! The whole journey is like a big, glamorous party hosted by the Sydney Showboat crew. Not just any party, but a luxurious one that you will remember for ages to come. And the best part? The grand king-size dining experience. You are definitely not going to believe it until you witness it yourself!
Dive into the Delicious Details – Dining Experiences That Make You Go ‘Wow’!
Let’s talk about the important stuff – food – because who doesn’t love a good feast, right? Starting with a warm welcome by all the glamorous showgirls at the wharf, tempting a 3-course dinner served to your very own reserved table. Yes, you are the VIP here. Along with it, you will have the facility for a fully licensed bar on board for all your drink needs. And oh, did we mention the live entertainment with the sensational cabaret show ‘Voyage of Love’? It’s like a dinner party that doesn’t see the night or day!
Menu Magic – What’s on Your Plate?
Now, let’s get into the very details of the menu. You can’t blindly follow a guide until you know the core of the matter! Brace yourself for a foodie adventure! The first flavour kicks off with a platter shared between two guests – think smoked salmon, prawn ceviche, vegetarian samosas, and herb & garlic bread. The main flavour brings oven-roasted chicken breast with Chef’s special potatoes and more. Yeah, the chef and his crew are totally onboard, so you get everything fresh and ready straight to your plate! And for the sweet flavour, you’ve got a choice between Chef’s Eton mess or heavenly ‘tiramisu’. And don’t worry, they’ve got a special menu for vegetarians too, with pumpkin ravioli and all the sweet delights. Okay, stop drooling over the article when you can actually try it out in Sydney! But wait, we have more!
Voyage of Love – Where Music, Dance, and Theatre Collide!
But here’s the real showstopper – the ‘Voyage of Love’ cabaret show! It’s like a magical hour of music, dance, and theatre expressions. Imagine being in the front row of a concert that celebrates the universal language of love. It’s a total game-changer, and you’ll be talking about it for ages!
Special Occasions on the Waves – More Than Just Dinner!
Oh, and did we mention that the Sydney Showboat is not just about regular dinner cruises? They go all out for special occasions! Christmas Day lunch cruise, New Year’s Eve Fireworks, Australia Day, and even Vivid Sydney cruises – they’ve got it all. It’s like celebrating the coolest moments of the year on a boat, surrounded by Sydney’s glittering skyline.
In a nutshell, these Sydney dinner cruises around Darling Harbour are the go-to for a night of glamour, good eats, and unbeatable views. So, if you’re in Sydney and want to experience the city’s magic in the coolest way possible, hop on the Sydney Showboat and let the adventure begin!
Kedarnath Temple is situated at a height of 3583 meters in the Garhwal region of the Himalayas of Rudraprayag district of Uttarakhand state of India. The majestic Himalayas behind the Kedarnath temple give a beautiful view that leaves a lasting imprint on the hearts of devotees. To experience the real beauty of Kedarnath you have to do the Kedarnath Yatra. Kedarnath Yatra is one of the revered and most sacred journeys in Hinduism. Many people opt for the Kedarnath Yatra package to fulfill their dream of Kedarnath Yatra.
1. Creation Of Kedarnath
Lеgеnd states that whеn Nar and Narayana, two incarnations of Lord Vishnu, pеrformеd a sеvеrе pеnancе in thе Badrikashraya of Bharat Khand, thеy worshipеd a Shivalingam that appеarеd bеautifully out of thе Earth. This plеasеd Lord Shiva, who thеn appеarеd in front of Nar and Narayana and askеd thеm to sееk a gift. Nar and Narayana thеn rеquеstеd that Lord Shiva pеrmanеntly rеsidе as a Jyotirlingam at Kеdarnath, so that thosе who comе to worship Lord Shiva hеrе will no longer bе еnslavеd to thеir lifе’s misеriеs.
2. Protector of Kedarnath Temple
It is believed that the Bhairav Nath temple which is situated just 500 meters from the Kedarnath Temple is the protector of the Kedarnath temple. Lord Bhairav is one of the incarnations of Lord Shiva. Legends state that Lord Shiva created Lord Bhairava to protect the Kedarnath Temple from evil spirits and negative powers. Bhairavnath Temple gives the Bird’s eye view of the whole Kedarnath region.
3. 2013 Flood
Thе Kеdarnath Tеmplе is at lеast a thousand yеars old and has bееn blеssing thе Himalayas and thе pilgrims who visit it еach yеar. According to lеgеnd, thе еntirе town of Kеdarnath was dеstroyеd during thе 2013 Uttarakhand floods, but thе tеmplе survivеd bеcausе a massivе rock bеhind thе tеmplе divеrtеd thе massivе flood watеr coming towards thе shrinе.
4. Mahabharata connection to Kedarnath Temple
Even after winning the Kurukshetra war, Pandavas were unhappy. They were unhappy because of killing their own brothers and teachers. They were dying under the sins of fratricide (Gotra Hatya) and Brahamhatya. Pandavas want atonement for their sins. Hence they started the search of Lord Shiva on the advice of Lord Krishna. Lord Krishna told them that only Mahadev (lord Shiva) could provide them with atonement. Pandavas first searched for Lord Shiva in Varanasi also known as Kashi thinking that it was the favourite abode of Lord Shiva. But Pandavas got nothing in Varanasi because Lord Shiva transformed himself into a bull and hid in the Garhwal Himalayas. Lord Shiva was angry with them due to the unfair circumstances of the Kurukshetra war and he didn’t want to meet them. Pandavas also embarked on the Himalayas in search of Lord Shiva. One of the Pandava brothers Bheem was standing on the top of two mountains and saw a bull grazing near Guptkashi. He looked at the bull closely and carefully. Bheem immediately recognizes the bull as Lord Shiva. Bheem tried to catch the bull’s hind legs and tail. But Bheem failed to hold Lord Shiva. Lord Shiva in the form of a bull disappeared in the ground and reappeared in a different location. The hand appeared in Tungnath, Hump appeared in Kedarnath, Nabhi, or Madhya or the Middle part of the body appeared in Madhyamaheshwar, Face appeared in Rudranath, and Matted hair or Jata appeared in Kalpeshwar. Then Pandavas built temples in all these locations and got atonement from Lord Shiva.
5. Who built the Kedarnath Temple?
Initially, the Kedarnath temple was built by Pandavas. But in the 8th century AD, a saint named Adi Shankaracharya rebuilt the temple. Adi Shankaracharya was one of the great philosophers and saints. Adi Shankaracharya got enlightenment at a very young age of 32.
6. Spiritual significance of Kedarnath Temple
Kedarnath temple is one of the 12 jyotirlingas in India. Kedarnath temple is also part of the Char Dham Yatra circuit along with Yamunotri, Gangotri, and Badrinath. Kedarnath is also part of the Do Dham Yatra along with Badrinath.
7. Closed for Six months is a year
Kedarnath temple is situated at a height of 3583 meters in the Garhwal Himalayas. Due to the high altitude, Kedarnath experiences harsh weather and in winter the whole region gets covered with sheets of snow and it is impossible to reach the temple in winter. After a break of 6 months, the Kedarnath temple again opens on the date of Akshay Tritiya and again closes on the date of Bhai dhuj.
The Taj Mahal is undoubtedly one of the most iconic and beautiful monuments in the world. While it is impressive at any time of the day, experiencing it at sunrise adds a magical touch to the whole experience. The soft golden light of the rising sun bathes the white marble structure, creating a mesmerizing display of colors and shadows. The tranquil ambiance and the absence of large crowds make it an ideal time to truly appreciate the beauty and grandeur of the Taj Mahal. The calmness of the morning and the ethereal atmosphere make it a truly unforgettable experience.
Reaching the Taj Mahal from Delhi is convenient and hassle-free, thanks to our Taj Mahal Sunrise Tour by car. Our private car will pick you up from your hotel in Delhi and take you on a comfortable journey to Agra, where the Taj Mahal is located. The journey takes approximately three hours, and you can sit back, relax, and enjoy the scenic views along the way. Our experienced driver will ensure a smooth and safe ride, allowing you to fully enjoy the journey.
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Your Taj Mahal Sunrise Tour begins with a departure from Delhi in the early morning. Our driver will pick you up from your hotel, and you will embark on a scenic journey to Agra. As you leave the bustling city behind, the landscape gradually transforms, offering glimpses of rural life and the beautiful countryside. The journey itself is an opportunity to soak in the local culture and witness the vibrant tapestry of India.
As you approach Agra, the anticipation builds. The first rays of the sun start to illuminate the sky, signaling the arrival of a new day. The car pulls up near the entrance of the Taj Mahal, and you step out, filled with excitement and awe. The sight that awaits you is nothing short of breathtaking. The Taj Mahal stands tall against the backdrop of the morning sky, its pristine white marble reflecting the soft hues of dawn. The serenity and beauty of the moment leave you speechless, as you take in the grandeur of this architectural masterpiece.
With our experienced guide by your side, you enter the Taj Mahal and begin your exploration of this magnificent monument. The guide will provide fascinating insights into the history, symbolism, and architectural marvels of the Taj Mahal. As you walk through the complex, you can’t help but be in awe of the intricate details and the perfect symmetry that defines the structure. The play of light and shadows, coupled with the serene surroundings, creates an atmosphere of tranquility and romance. Take your time to admire the delicate marble inlays, the ornate calligraphy, and the beautiful gardens that surround the Taj Mahal.
No visit to the Taj Mahal at sunrise is complete without capturing the perfect photo. With the soft golden light and the Taj Mahal as your backdrop, the possibilities for stunning photographs are endless. Our guide will assist you in finding the best vantage points and help you capture the essence of this magical moment. Whether you are a professional photographer or just someone with a smartphone, the beauty of the Taj Mahal at sunrise will make your photographs truly extraordinary.
After exploring the Taj Mahal, it’s time to indulge in a delicious breakfast. Our tour includes a sumptuous breakfast at a local restaurant, where you can savor traditional Indian delicacies and refresh yourself before continuing your journey. After breakfast, you have some leisure time to explore Agra at your own pace. You may choose to visit other attractions, such as the Agra Fort or the nearby Itmad-ud-Daulah’s Tomb, or simply relax and soak in the local atmosphere.
As your Taj Mahal Sunrise Tour comes to an end, it’s time to bid farewell to Agra and embark on the return journey to Delhi. Reflecting on the incredible experience you’ve had, you can relax in the comfort of our car and reminisce about the beautiful sunrise, the captivating architecture, and the magical moments you’ve witnessed.